Ortho Sudha

सामुदायिक स्वास्थ्य संगठन

  • 07.12.2020 | 14:17
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घुटनों के दर्द का पूर्ण समाधान ऑपरेशन नहीं बल्कि आयुर्वेद है-

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का अविश्वसनीय फ़ॉ्मूला

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घुटनों के दर्द का समाधान ऑपरेशन नहीं बल्कि आयुर्वेद है एक छोटा सा उपाय घुटनों के पुराने से पुराने दर्द से एक सप्ताह में राहत दिलाता है कमर , पीट , कंधे , टखने , कलाई और जोड़ों के तमाम दर्द में चौकाने वाले नतीजे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का अविश्वसनीय फ़ॉर्मूला आयुर्वेद के बल पर कैसे ओपरेशन के खतरे को हराया

घुटने एवं जोड़ों के दर्द पर काम करने वाली रिसर्च स्कोलर एमेली स्टोर्क की स्टडी इन चर्चा में है जिसने चालीस के बाद या समान्य चोंट से होने वाली जोड़ों से जुडी समस्याओं जैसे घुटने का दर्द , हड्डी एवं मांसपेशियों का घिस जाना, कंधे में खिंचाव, जोड़ों में दर्द रहना , joint में लोच कम होना आदि समस्याओं में भारतीय आयुर्वेद को सर्जरी से भी अधिक प्रभावी और सुरक्षित उपाय माना है।

व्हील चेयर पर कैद हो चुकी इलाहबाद की निशा चतुर्वेदी पहाड़ चढ़ गयी .बिना ओपरेशन घुटने फिर से नए करा लेने वाली इस साहसी महिला की पूरी कहानी जानने के लिए .. ( पढ़िए आगे)

तीस साल की ही उम्र में गौरव सैनी को घुटने की प्रोबलम हो गयी , नौकरी छूटी, परिवार पर आया भयंकर आर्थिक संकट लेकिन उसने कैसे गरीबी ,बेरोजगारी और घुटने तीनों समस्या को पछाड़ दिया .(पढ़िए पूरी कहानी )

रिटायर होकर भी अपने घर जाने को तरसने वाले पिथौरागढ़ के विजय कुमार पुनेठा पहाड़ चढ़ कर घर पहुचे तो क्यों रो पड़े ( पढ़िए आगे)

एमेली की रिपोर्ट कहती हैं कि भारत सरकार के आयुष विभाग के वैज्ञानिकों की सलाह से बनी ये ख़ास आयुर्वेदिक मेडिसिन घुटनाजीवक जोड़ों की समस्याओं खासकर घुटने के जोड़ की तकलीफ से लाचार हो चुके लोगों को फिर से कामकाज की दुनिया में लाने में सफल हुई है | खास तौर पर इसे बुजुर्ग जिन्हें डॉक्टर्स ने साफ़ तौर पर नी रिप्लेसमेंट का सुझाव दिया था वो इसकी मदद से सामन्य जीवन में लौट सकें है और बरसों से बिना किसी सर्जरी के सामने चलना फिरना यहाँ तक कि सीढियां चढ़ना उतरना भी आसानी से कर पा रहें है।

यह रिसर्च बताती है कि कि घुटनाजीवक के प्रयोग से आर्थराइटिस, ओस्टियोकांड्रोसिस, स्लिप डिस्क , स्पोंडीलाइसिस , फ्रोजन शोल्डर जैसे लाइलाज मानी जाने वाली समस्यांये तक मात्र कुछ महीनों में ठीक हुई . जोड़ों में खासकर घुटने में दर्द के मामले में तो सप्ताह भर में चौकाने वाले लाभ देखे गए हैं।

जोड़ों के दर्द से परेशान, पेन किलर खाकर किडनी को खराब करते हुए रोगी, महंगे और रिस्की इलाज से डरे हुए लोगों के लिए तो ये खबर वरदान है . भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के प्रयासों से तैयार इस आयुर्वेदिक मेडिसिन ने लोगों को बरसों पुराने जोड़ों के दर्द खासकर घुटने के दर्द और कमर और पीढ दर्द की समस्या ने राहत दिला दी है . आजकल घुटनाजीवक को ऐसी औषधि का दर्जा प्राप्त हो गया है जिसने कितने ही मरीजों को व्हील चेयर से उठा दिया ..चला दिया, सीढियां चढवा दी यहाँ तक कि दौड़ा दिया है

इस स्टडी में घुटनाजीवक जैसी अद्भुद आयुर्वेदिक औषधी तैयार करने वाले आयुष विभाग के वैज्ञानिक डॉ. चंद्रकांत साहा से की गयी चर्चा को को हम आपके लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं -

व्हील चेयर पर कैद हो चुकी इलाहबाद की निशा चतुर्वेदी पहाड़ चढ़ गयी .बिना ओपरेशन घुटने फिर से नए करा लेने वाली इस साहसी महिला की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी

इलाहबाद की रहने वाली निशा चतुर्वेदी दो बच्चों की माँ है और उनके पति बैंक में नौकरी करते हैं. निशा का एक ही शौक है, एक ही हॉबी है - घूमना | वे अपने पति और बच्चों के साथ साल में दो बार घुमने जाती रही हैं. लेकिन इधर चालीस साल की उम्र में उनके दाहिने घुटने में थोड़ी अकडन और दर्द महसूस होने लगा. निशा ने कभी पेन किलर खाकर तो कभी दर्द निवारक लगाकर काम चलाया . लेकिन दर्द बढ़ने लगा और उन्हें घर में ही चलने फिरने में तकलीफ होने लगी. परिवार का इस वर्ष पहाड़ की यात्रा का प्लान बन रहा था. यह सोचकर कि इलाज लेकर निशा ठीक हो जायेगी, उनके पति उन्हें डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने जांचे करवाई और स्पष्ट कहा, कि निशा को जितना संभव हो रेस्ट करना होगा और ओपरेशन ही इसका इलाज है।

डॉक्टर से मिलकर पूरा परिवार निराश हो गया. इधर सर्दियां आते ही निशा की तकलीफ इतनी बढ़ गयी कि वे किचन में खड़े होकर खाना भी नहीं बना पाती थी इसलिए उनके लिए व्हील चेयर लाइ गयी जिसे देख कर वे रो पड़ी।

इन्हीं दिनों निशा के बड़े बेटे आयुष को कहीं से घुटनाजीवक नामकी एक आयुर्वेदिक दवाई की जानकारी मिली और उसी ने घुटनाजीवक मंगवा ली

पहला दिन :

निशा की स्थिति ऐसी थी कि जब वे सुबह उठती थी तो कुछ देर तक तो खडी तक नहीं हो पाती थी . जब घुटनाजीवक का पैक घर में पहुंचा तो उस रात उनके बेटे ने बहुत आग्रह करके अपनी माँ के घुटने पर घुटनाजीवक आईल से मसाज की. निशा ने बस बेटे का दिल रखने के लिए चुपचाप मसाज करवा ली. लेकिन सुबह वो ख़ुशी से चीख रही थी. उन्होंने कहा उनके घुटने में आज पचास प्रतिशत भी अकडन नहीं है|

दूसरा हफ्ता :

निशा को घुटनाजीवक का इस्तेमाल करते हुए दो सप्ताह पुरे होने जा रहे थे. उनके घुटने में अब मुश्किल से दस प्रतिशत अकडन बची थी. उन्हें बीच रात होते होते लगता था कि घुटने में हलकी अकडन है . उन्होंने धीरे धीरे बिना व्हील चेयर सामान्य रूप से घर में काम करना चलना फिरना शुरू कर दिया था|

तीसरा हफ्ता :

निशा को अब पेन किलर की जरुरत लगना बंद हो गयी थी . वे रात तक बिलकुल आराम से घर के ही नहीं बाजार के भी काम काज पहले की ही तरह करने लगी. घुटनाजीवक पर उनका विशवास और उसका नियमित उपयोग उन्हें घुटने के मरीज होने की स्थिति से बाहर ले आया|

चौथा हफ्ता :

निशा ने एक बार फिर डॉक्टर से मिलना तय किया. डॉक्टर ने उन्हें देखते ही कहा, "अरे, निशा जी आपकी तो चाल से पता चल रहा है कि आपके घुटने में कोई प्रॉब्लम है ही नहीं।" और डॉक्टर सही थे और आश्चर्य में भी थे . जांच की रिपोर्ट्स बता रही थी कि निशा जी के घुटने की स्वेलिंग बिलकुल उतर चुकी थी. उनके जोड़ और लिगामेंट मजबूत हो चुके थे|

पांचवा हफ्ता :

निशा जी अभी दो दिन पहले ही पति और बच्चों के साथ मनाली होकर आई हैं . सर्दियों में पहाड़ की बर्फ देखने की उनकी इच्छा और घुटनाजीवक के बलपर उन्होंने ट्रेकिंग का खूब आनन्द लिया है|

रिसर्च टीम : घुटनाजीवक क्या है ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : घुटनाजीवक भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की CSIR लेब के द्वारा निमित फार्मूला, एक ओथेन्टिक आयुर्वेदिक मेडिसिन है जिसमे अकरकरा फूल, धतूर पंचांग, अष्टगंध ,दर्द मैदा छाल, कुचाला, हालो आदि बहुमूल्य आयुर्वेदिक जडीबूटियों से बनाई जाती है | इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मालिश के माध्यम से जोड़ की गहराई में पहुंच कर तत्काल वहां से दर्द एवं सूजन को मिटाती है , जोड़ों में प्राकृतिक चिकनाई लौटाती है और गर्माहट पैदा कर वहां नसों में जमे हुए रक्त का बहाव फिर से शुरू करती है | इसके नतीजे इतने तेज और चौकाने वाले है कि मात्र २ साल में इसे घुटनों एवं ज्वाइंट्स के सभी पेन की सबसे विश्वसनीय सबसे प्रभावी औषधी मान लिया गया है।

रिसर्च टीम : घुटने के दर्द पर घुटनाजीवक कैसे काम करती है ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : देखिए घुटनाजीवक की सबसे बड़ी डिमांड घुटने के दर्द के रोगियों में है , उनमे भी ८०% बुजुर्ग शामिल है क्योंकि इसमें कुछ ख़ास जडी बूटियाँ जैसे अकरकरा फूल, हालो और कुचाला सिर्फ घुटने के दर्द के लिए इसमें शामिल की गयी है, जब रोगी इसकी हल्की मालिश घुटने पर करता है तो ये औषधी सीधे लिंगामेंट्स और घुटने की नसों को प्रभावित करती है ...एक गर्माहट के साथ वहां रक्त का रुका हुआ प्रवाह फिर शुरू होता है और जोड़ से सूजन ख़तम होकर मजबूती आना शुरू होती है. इसके अलावा घुटने के दर्द का मूल कारण जोड़ के अन्दर चिकनाहट का ख़तम होना है और घुटनाजीवक एक मात्र ऐसी दवा है जो नियमित इस्तेमाल से खोयी हुई चिकनाहट को लौटाती है, बात कई MRI रिपोर्ट्स के जांच से साबित हो चुकी है|

तीस साल की ही उम्र में गौरव सैनी को घुटने की प्रोबलम हो गयी , नौकरी छूटी, परिवार पर आया भयंकर आर्थिक संकट लेकिन उसने कैसे गरीबी ,बेरोजगारी और घुटने तीनों समस्या को पछाड़ दिया .(पढ़िए पूरी कहानी )

ग़रीबी के कारण गौरव सैनी को अपनी पढ़ाई बीच में छोडनी पड़ी थी . लेकिन मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक कोरियर कंपनी में नौकरी मिल गयी थी. माता पिता और छोटी बहन की जिम्मेदारी वह खुशी खुशी उठा रहा था कि एक ऐसा संकट आ गया जिसमें उसे कोई रास्ता नहीं सूझा. कुछ दिनों से उसे चलने फिरने और खासकर सीढियां उतरने में घुटनों में दर्द होने लगा था . कोरियर का तो काम ही ऐसा है जिसमे रोज ना जाने कितनी बिल्डिगों में चढ़ना उतराना होता है . उसने कूछ दिन तो टाला और बर्दाश्त किया और फिर डॉक्टर को दिखाया और एमआरआई भी करवाई . वो दिन उसके जीवन का सबसे मुश्किल दिन था . डॉक्टर ने यह कह कर उसके होश उड़ा दिए थे कि यह ओर्थ्राईटिस की प्रोबलम की शुरुआत है और इसका इलाज लेना होगा . उन्होंने बताया कि उसे लम्बे समय तक हर माह में दो बार एक ख़ास इंजेक्शन लगवाना होगा किसकी कीमत लगभग बीस हजार है. जिसकी सेलेरी ही पंद्रह हजार हो उसके लिए यह सुनना कैसा होगा इसकी आप कल्पना कर सकते हैं . उसने घर पर किसी से बात ही नहीं की . काम पर भी जाता रहा . लेकिन एक माह में दर्द इतना बढ़ गया कि उसे छुट्टी लेनी पड़ी . पन्द्रह दिन काम पर नहीं गया तो ऑफिस से फोन गया कि अब वह तीन माह लीव विदाउट पे छुट्टी पर ही रहे।

इसी बीच एक दिन उससे मिलने उसका एक दोस्त ऋषि सिंह उसके घर आ पहुंचा . गौरव ने तब उसके साथ अपनी प्रोबलम पहली बार शेयर की . ऋषि एक मेडिसिन कंपनी में एम् आर है . उसने गौरव से कहा , “ मैं एक आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट जानता हूँ घुटनाजीवक ...जिससे तू हंड्रेड परसेंट ठीक हो जाएगा .” गौरव उदासी में भी हंस दिया कहने लगा , यार ठीक वीक होना तो मुश्किल है ..बस काम चल जाये ...रोटी कमा लूं इस लायक बना रहूँ ...” कहते कहते उसकी आँखों में आंसू छलक आये।

पहला दिन

ऋषि सिंह ने खुद आर्डर करके घुटनाजीवक मंगवा ली थी. गौरव एक आशा के साथ से दोनों घुटने पर उसका मसाज किया. शाम को उसने फिर से मसाज किया , यह पहला ही दिन था और उसे घुटनों में दर्द में आराम लगा|

पहला सप्ताह

गौरव खुद आश्चर्य में था कि उसके घुटने की सूजन उतर गयी थी . दर्द बहुत की कम रह गया था . उसकी बहन ने गौरव को जब घुटने पर मसाज करते देखा तब उसे भाई की सारी प्रोब्लम का पता चला . वह रोने लगी बोली मैं नौकरी कर लूंगी आप इलाज करवा लो . गौरव ने कहा मुझे सच में घुटनाजीवक के ट्रीटमेंट से लाभ हो रहा है|

तीसरा सप्ताह

गौरव को अब लगभग पूरी तरह आराम हो चुका था . उसका मन था कि वह एकबार ऑफिस हो आये और नौकरी ज्वाइन कर ले . लेकिन बहन अड़ी हुई थी कि उसे काम पर नहीं जाने देगी . तभी ऋषि गौरव से मिलने आ गया . उसने गौरव की बहन राखी को समझाया कि एलोपैथी में वैसे भी आर्थराइटिस का कोई इलाज नहीं है .घुटनाजीवक जोड़ों के दर्द का बेस्ट ट्रीटमेंट है . वह गौरव को अपने परिचित हॉस्पिटल में एम्आर आई करवाने ले गया . पुरानी और नयी दोनों रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाई. डॉक्टर ने देखते ही कहा , ओह ग्रेट ..प्रोबलम तो गयी समझो . ...इन्हें भी घुटनाजीवक मिल गया लगता है|

चौथा सप्ताह

गौरव ने फिर से ज्वाइन कर लिया . वह भूल ही गया है कि उसे घुटने की प्रोबलम थी . वो किसी को रास्ते पर किसी की चाल देखते ही समझ जाता है कि इसे घुटने की प्रोबलम है , वह रुक कर बहुत आदर और प्रेम से उन्हें घुटनाजीवक के बारे में बताता है और मुस्कुराकर तेजी से आगे बढ़ जाता है |

रिसर्च टीम : आजकल घुटनों में , जोड़ों में दर्द की प्रोबलम इतनी क्यों बढ़ती जा रही है ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : देखिये यदि फ्रेक्चर हो जाता हैं तो आदमी चल नहीं पाता और तुरंत इलाज करवाता है लेकिन जोड़ों में हल्का दर्द होता है तो लोग ध्यान नहीं देते .. जोड़ों का ये दर्द जोड़ के अन्दर लिगामेंट में टूटफूट , सूजन , चिकनाहट का कम होना जैसे कारण से होता है लेकिन आप पेन किलर खाते है और चलते जाते हैं ....और स्थितियां बिगड़ती चली जाती हैं .. फिर दर्द स्थायी होता जाता है . जोड़ों में चिकनाहट घटती जाती है और इस तरह तकलीफ भयंकर से भयकर हो जाती है।

अगर शुरुआत होते ही सीधे घुटनाजीवक का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो दर्द में तो तत्काल आराम मिलेगा ही . साथ ही साथ जोड़ों के अन्दर की सूजन दूर होगी, लिंगामेंट को ताकत मिलेगी और जोड़ों में प्राकृतिक चिकनाहट लौट आएगी ..इस प्रकार आपके जोड़ को नया जीवन मिल जाएगा

रिसर्च टीम : सीनियर लोग जिन्हें घुटने में दर्द की प्रोबलम बरसों पुरानी हो या लम्बे समय से जोड़ में तकलीफ हो जैसे कमर, पीठ या कंधे का दर्द ... उनकी प्रोबलम में घुटनाजीवक कैसे और कितना असर करेगी ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : हंड्रेड परसेंट असर करेगी ...देखिये..भारत सरकार के आयूष मंत्रालय की CSIR लेब में बरसों तक इसके सफल परीक्षण करने बाद ही इसे मार्केट में लाया गया है, घुटने में और अन्य जोड़ों में जिस तरह के लिंगामेंट होतें है जो बोन्स होती है, जो मसल्स होती है उन्ही के आधार पर इसे बनाया गया है , वास्तव में घुटनाजीवक आयुर्वेद का एसा रेयर फार्मूला है ...जिसे हम जोड़ों का अमृत भी कह सकतें है, ये वास्तव में जोड़ों को नयी जिन्दगी दे सकता है ...इसकी औषधियां जोड़ों के अन्दर लिगामेंट को मजबूत बनाने की ताकत रखती है . घुटनाजीवक में मौजूद जड़ी बूटियाँ पुरानी से पुरानी सूजन को दूर करने में सौ फ़ीसदी कारगर है जिसके कारण जोड़ों के दर्द की समस्या में स्थायी आराम मिलता है |

रिसर्च टीम : आयुर्वेद के तो कई प्रोडक्ट आज कल चलन में है . हम प्रमाणिक और सबसे बेहतर कैसे चुने ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : चार बातें हैं जो कसौटी है -

पहली बात , घुटनाजीवक भारत सरकार के आयूष मंत्रालय के अधीन CSIR यानी Council of Scientific and Industrial Research लेब में तैयार एक ऑथेंटिक फार्मूला हैं जो हमारे देश के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और डॉक्टर्स ने तैयार किया है,

दूसरी बात , ये फार्मूला किसी व्यावसायिक कंपनी ने नहीं बल्कि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने तैयार किया है . ये वो लोग हैं जो अपने पर्सनल फायदे के लिए नहीं , किसी प्रायवेट संस्थान के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए काम करते हैं|

तीसरी बात , यह फार्मूला आयुर्वेद की प्राचीन शक्ति में आधुनिक विज्ञान की रिसर्च को जोड़कर तैयार किया है|

चौथी बात , इसके रिजल्ट जबरदस्त हैं. पिछले तीन सालों से घुटनों , पीट , कमर या दूसरे जॉइंट्स पेन से परेशान रह चुके लाखों लोग इसे यूज करके अपने दर्द से मुक्त हुए है , कितने ही बुजुर्ग जो घर में चलने फिरने से मजबूर थे आज पैदल तीर्थ यात्राएँ कर रहे है , सैकड़ों सीढियां चढ़ रहें है|

रिटायर होकर भी अपने घर जाने को तरसने वाले पिथौरागढ़ के विजय कुमार पुनेठा जब पहाड़ चढ़ कर घर पहुंचे तो क्यों रो पड़े ( पढ़िए आगे)

अल्मौडा उतराखंड के निवासी विजय कुमार पुनेठा जी रेलवे में नौकरी करते हुए लगभग पैतीस साल देश भर में घूमते रहे. लेकिन उनका मन पहाड़ी जीवन छोड़कर कहीं नहीं लगा. हमेशा एक ही इच्छा रही कि रिटायर होते ही अपने गाँव लौट कर वहीँ रहेगें. थोड़ी थोड़ी बचत करके अल्मौडा में एक मकान भी बना लिया था . दोनों बेटियों की शादी भी करके वह जिम्मेदारी भी पूरी कर ली थी . लेकिन रिटायर होने के कुछ ही महीनों पहले उनको घुटनों में दर्द की समस्या शुरू हुई उन्होंने पहले तो घरेलु फिर आयुर्वेदिक होम्योपैथिक इलाज लिए लेकिन फ़ायदा नहीं हुआ उलटा तकलीफ बढती गयी. डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने तो सीधे नी रिप्लेसमेंट की सलाह दे दी. विजय कुमार और उनकी पत्नी तो बहुत चिंता में पड गए. उनकी तो सारी बचत बेटियों की शादी और अल्मोड़ा में मकान बनाने में खर्च हो चुकी थी. अब तो केवल पेंशन का सहारा था. पत्नी ने कहा कि अल्मोड़ा का मकान बेच दें और नी रिप्लेसमेंट करावा लें।

बेटियों ने विजय कुमार जी को समझाया कि वैसे भी घुटने कमजोर होने की स्थिति में उनका पहाड़ी स्थान होने से अल्मोड़ा जाकर रहना ठीक नहीं , वे यहीं इंदौर में के छोटा फ्लेट किराए पर लेकर रह जाएँ, विजय कुमार जी तो घुटने से ज्यादा इस बात से दुखी हो गए कि वे अपने गाँव जाकर नहीं रह सकेगें

इस बीच विजय कुमार जी ने अपने बचपन के एक मित्र डॉक्टर प्रवीण सिंह से फोन पर बात की. डॉक्टर सिंह ने विजय कुमार जी को कहा अभी एक महीन रुक जाओ. मैं आपको एक आयुर्वेदिक दवाई का नाम मेसेज कर रहा हूँ वह मंगवा कर उसका उपयोग करो

पहला दिन

विजय कुमार जी की दोनों बेटियाँ नाराज थी कि पापा मकान बेच कर घुटनों के ओपरेशन का निर्णय टाल रहे हैं. पत्नी असमंजस में थी कि क्या करें . इसी बीच एक दिन सुबह सुबह एक पार्सल में घुटनाजीवक उनके घर पहुच गया. पत्नी तो कुछ नहीं बोली.. विजय कुमार जी ने खुद ही घुटनाजीवक से अपने दोनों घुटनों पर मालिश की. शाम को उन्होंने महसूस किया कि उनके घुटनों में थोड़ा हल्का पन सा आ गया है . उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा

पहला सप्ताह

विजय कुमार जी को दिन प्रतिदिन में फर्क लग रहा था लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि यह घुटनाजीवक लगाने से हो रहा है, जबकि वे और कोई गोली दवाई खा भी नहीं रहे थे. जब आठ दिन में उन्हें इतना फ़ायदा लगा कि वे आँगन में टहलने लगे तो उनकी पत्नी का ध्यान गया. जब उन्होंने पूछा तो विजय कुमार जी ने कहा पहले तुम मेरे घुटने देख कर बताओं कि क्या तुम्हें कोई फर्क दिख रहा है . उनकी पत्नी ने विजय कुमार जी के घुटने देखें तो आश्चर्य और ख़ुशी से देखती रह गयी. कहने लगी अरे आपके घुटने की सूजन तो आधी से भी कम रह गयी.क्या यह उस तेल लगाने से हुआ जो आठ दिन पहले आया था ...विजय कुमार जी ने कहा हाँ उस तेल का नाम घुटनाजीवक है

दूसरा सप्ताह

जब विजय कुमार जी की बड़ी बेटी और दामाद उन्हें देखने आये तो वे उन्हें कोलोनी के गार्डन में टहलते मिले . उनके हाथ में छड़ी भी नहीं थी . बेटी तो उनपर वहीँ नाराज होने लगी. बोली, पापा , डॉक्टर ने आपकी आराम करने के लिए बोला था और आप इस तरह घर से इतना दूर पैदल आ गए . हम आपके घुटने के ओपरेशन के लिए तारीख फाइनल करने जाने वाले हैं|

तभी विजय कुमार जी की पत्नी भी टहलती हुई वहां आ गयी और बोली , बेटा चिंता मत करो पापा के घुटने की प्रोबलम ठीक हो रही है . भगवान चाहेगा तो हमें ओपरेशन करवाना ही नहीं पडेगा . इनको घुटनाजीवक से बहुत आराम हो रहा है|

दामाद बोले , अरे मम्मी ऐसे कहीं होता है क्या .घुटने एक बार खराब हो जाएँ तो ठीक नहीं होते . श्रीमती विजय कुमार बोली , बेटा इनके दोस्त डॉक्टर हैं उन्हीं की सलाह पर घुटनाजीवक मंगवाई है . यह बहुत पावरफुल आयुर्वेदिक फार्मूला है . एक महीने देख लेते हैं नहीं तो फिर जैसा तुम कहोगे कर लेंगें|

तीसरा सप्ताह

विजय कुमार जी अपनी पुरानी दिनचर्या में लौट आये . बाजार के काम , घूमना फिरना सब होने लगा .घुटनों की प्रोबलम अब उन्हें याद भी नहीं आती ,जबकि अभी घुटनाजीवक इस्तेमाल करते हुए उन्हें बीस दिन ही हुए थे|

इस बीच एक दिन उनकी पत्नी ने कमर दर्द की शिकायत की तो विजय कुमार जी ने उन्हें भी घुटनाजीवक लगाने को कहा . उनकी पत्नी ने लगाया . कुछ देर लेटने के बाद उठी तो कहने लगी , अरे मुझे तो इससे बहुत ही आराम लगा ....ऐसा तो आज तक किसी दवाई ..किसी तेल से नहीं मिला था|

चौथा सप्ताह

विजय कुमार जी को ही नहीं उनकी पत्नी को भी अब पूरा विश्वास आ चुका था कि विजय कुमार जी के घुटने की समस्या दूर हो रही है . उन्होंने शहर के अच्छे डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट लिया . डॉक्टर ने उनकी पुरानी रिपोर्ट देखी और फिर तीन बार उनके घुटनों की जांच की . फिर पूछने लगा , आपने क्या इलाज लिया पुनेठा जी ?

डॉक्टर ने कहा वह भी अपनी माँ के लिए घुटनाजीवक मंगवाएंगे , जब इतनी अच्छी और बेस्ट क्वालिटी की आयुर्वेदिक दवाई मौजूद है तो ओपरेशन करवाना ही क्यों?

पांचवा सप्ताह

एक दिन विजय कुमार जी ने बेटियों को बुलाकर डॉक्टर की रिपोर्ट दिखाई और बताया कि अब उनके घुटने पूरी तरह स्वथ्य और मजूबत हैं . वे दो दिन बाद अल्मोड़ा जा रहे हैं. बेटियाँ आँख में आँसू लेकर खुश थी कि उनके पापा का सपना पूरा हो रहा था|

विजय कुमार जी पत्नी सहित अल्मोड़ा बस अड्डे पर उतरे तो उन्हें खुद विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर वे अपने गाँव लौट आये हैं . वे बड़ी तेजी से चलते हुए कुछ ही मिनिटों में पहाड़ी के दूसरी तरफ बने अपने घर पहुच गये. लेकिन जैसे ही वे अपने घर के सामने खड़े हुए उनकी आँखों से आंसू बहने लगे . उनके दोस्त डॉक्टर सिंह भी पीछे पीछे वहां पहुच गए थे . विजय कुमार ने उन्हें देखते ही गले लगा लिया और बार बार शुक्रिया कहने लगे, डॉक्टर सिंह हंसते हुए बोले , मैं तो पहाड़ी डॉक्टर ठहरा ..यहाँ के लोगों के घुटने ठीक रखना तो मेरी ड्यूटी है . क्रेडिट तो घुटनाजीवक को जाता है भई

रिसर्च टीम : क्या घुटनाजीवक के प्रभाव की कोई ग्यारंटी भी है ?

डॉ. चंद्रकांत साहा : बिलकुल , भारत सरकार द्वारा लागू मनी बैंक ग्यारंटी है | यह ४५ दिन का कोर्स है | यही आप पन्द्रह दिन में कोई लाभ नहीं देखते तो इसे वापस कर सकतें है, इसलिए बेफिक्र होकर ऑर्डर करें |

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13 टिप्पणियाँ

  • प्रशांत कुमार 14.12.2020

    मैं इसके बारे में जानता तक नहीं था। लेकिन जब मैंने इसे यूज किया तो इतने बेस्ट रिजल्ट मिले की मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं है।

    5
  • ईशान कपूर 14.12.2020

    मेरे एक दोस्त ने इसे यूज़ किया और 2 हफ्ते पहले उसने इसे मुझे रेकमेंड किया। मैंने इसे ऑर्डर किया और 3 दिन के अंदर ये मेरे घर पहुँच गया (पर मुझे डिस्काउंट कीमत पर मिला)।शुरुआती रिजल्ट्स बहुत शानदार है और मैं बड़े उत्साह से इंतिज़ार कर रहा हूँ की तीसरे और चौथे हफ्तों में क्या होगा।

    5
  • अंशुल दागा 14.12.2020

    मैं पिछले 6 हफ्तों से प्रोडक्ट यूज़ कर रहा हूँ। सच बताऊँ तो ये गजब का है। मैं बस इतना ही कहना चाहूँगा की... वाह!!

    5
  • नीरज वर्मा 14.12.2020

    ये प्रोडक्ट जबरदस्त लग रहा है और सच में मुझे यकीन नहीं हो रहा की वो स्पेशल डिस्काउंट भी दे रहे है! इसके बारे में लिखने के लिए धन्यवाद !!!

    8
  • कृति चोपड़ा14.12.2020

    पहली बार मैंने अपने लिए कुछ ऐसा लिया है जिसके इफ़ेक्ट के सामने मुझे उसकी कीमत कुछ भी नहीं लगी।

    9
  • राजीव अरोरा 14.12.2020

    मैंने इस तरह के कई प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करके देखे है। मेरा दिल बोलता है की इसे भी इस्तेमाल करके देखूं। लेकिन कही न कही मेरा मन कह रहा था की अभी और सोच ले!! प्लीज् कोई मुझे अपनी राय दो...

    3
  • अभिषेक सिंह 14.12.2020

    मैं एक प्रॉपर्टी डीलर हूँ। मेरे व्यवसाय में ये बहुत जरुरी है की आपके घुटने सही रहे। और फिर मैं इसे डिस्काउंट में लेने में कामयाब हुआ। जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद। मैं अपनी बोतल का इंतज़ार कर रहा हूँ।

    11
  • अखिल चन्देर 14.12.2020

    मैंने अपना ऑर्डर प्लेस कर दिया है। मैं इसे शुरू करने में बड़ा उत्साहित हूँ और ये देखना चाहता हूँ की किस तरह के रिजल्ट्स मिलते है।

    2
  • शिखा सिंह 14.12.2020

    पहले मैं इसे ऑनलाइन आर्डर नहीं देना चाहती थी। लेकिन मुझे ये डील हर हाल में चाहिए। मैं इसे मिस नहीं करना चाहती थी। मैंने इसकी वेबसाइट पूरी चेक करी, उसमे दी गयी संपूर्ण जानकारी एन्क्रिप्टेड है और सही है।

    7
  • राज मल्होत्रा 14.12.2020

    में अपने दोस्तों को इसके बारे में बताऊंगा। इस जानकारी के लिए आपका धन्यवाद ।

    5
  • गौतम कपूर 14.12.2020

    मैंने इसे TV में देखा था।इसके बारे में लिखने वाला लेखक कितना लकी है जिसे ये मौका मिला!? इस जानकारी को शेयर करने के लिए धन्यवाद।मैंने अभी अभी ऑर्थो सुधा आर्डर किया है।

    8
  • रिया शर्मा 14.12.2020

    शायद मैं आप सब लोगो से उम्र में काफी छोटी हूँ, लेकिन इसने मुझे काफी अमेजिंग रिजल्ट्स  दिए है ! LOL! मैं इतनी उत्साहित हूँ की इसे बयान भी नहीं कर पा रही हूँ. आपकी प्रेरणाओं के लिए धन्यवाद!

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  • सनी सिंह 14.12.2020

    मेरी बहन ने कुछ महीने पहले इसे मँगाया था। मैंने अपनी बोतल मँगवाने से पहले इसके रिजल्ट्स देखने चाहे.. लेकिन जब मैं आर्डर करने लगा तो बॉटल्स ही ख़त्म हो गयी।ये क्या बेवकूफी थी जो मैं कर गया.. लेकिन अब मुझे खुशी है की नयी बॉटल्स आ गयी है। मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूँगा..

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  • सुनीता कुमारी 14.12.2020

    इसने मुझे अमेजिंग रिजल्ट्स दिए! इसने ठीक वैसे ही काम किया, जैसा की मैंने सोचा था। यह काफी आसान था और अब जब इसने मुझे फायदा दिया है तो मैं दूसरों को भी इसके बारे में बताउंगी।

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  • शिखा तलवार 14.12.2020

    जानकारी देने के लिए थैंक्स। मैंने इसे लेना अभी अभी शुरू किया है।

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  • दीपक यादव 14.12.2020

    में काम में इतना व्यस्त रहता था की ऐसी डील को कभी सर्च ही नहीं कर पाया। जो भी इसको लेकर आया उसका आईडिया बहुत बढ़िया है।

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  • सीमा वर्मा 14.12.2020

    आप लोग जो भी नयी डील लाते हो वो काफी बढ़िया होती है। मुझे इसकी ट्रायल बोतल मिल गयी है।अगले हफ्ते आप लोग क्या नया ला रहे हो मैं उसका  वेट कर रही हूँ।

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  • गौरव अरोरा14.12.2020

    मैंने अभी अभी आर्डर दिया है। इसकी डिलीवरी लेने के लिए मैं बहुत उत्साहित हूँ ।थैंक्स :)

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  • मंजीत कुमार14.12.2020

    मेरी माँ ने मुझे इसके बारे में ई-मेल किया है।माँ के ऑफिस में इसके बारे में बात चल रही थी।मुझे लग रहा है की ये प्रभावी रूप से काम करेगा।

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